Vaysan Mukti - Hindi
Vaysan Mukti - Hindi
Couldn't load pickup availability
Weight : 57.0 g
Height : 18.5 cm
Width : 12.5 cm
इष्टदेव भगवान श्री स्वामिनारायण के मंगल आदेशानुसार गुरुदेव पू. शास्त्रीजी महाराज श्री धर्मजीवनदासजी स्वामी ने संस्कार के साथ सद्विद्या प्रवर्तन के हेतु राजकाेट में सन 1948 में श्री स्वामिनारायण गुरुकुल की स्थापना की। गुरुदेव के अक्षरवास के बाद हाल में उनके परम अनुगामी शिष्य पू. गुरुवर्य महंत स्वामी श्री देवकृष्णदासजी स्वामी की निश्रा में गुरुकुल द्वारा भावि पीढी के निर्माण के इस बुनियादी कार्य के साथ सामाजिक उत्थान के हेतु व्यसन मुक्ति, पर्यावरण सुरक्षा, राेगातुर सेवा, आपद्ग्रस्त सेवा जैसे अभियानाें के उपरांत सत्संग कथा-पारायण, व्याख्यान माला, सत्संग शिबिर, ब्रह्मसत्र, ज्ञानसत्र, अभ्युदयसत्र, भक्तिसत्र आदिका आध्यात्मिक आयाेजन नियमित और निरंतर हाे रहा है।
पू. गुरुवर्य महंत स्वामी श्री देवकृष्णदासजी स्वामी के गुणातीत परंपरा के सूत्रात्मक भाषा में हृदयवेधक व्याख्यान एवं गुरुकुल के अन्य विद्वान संताें के विशिष्ट विषय पर के व्याख्यानाें, प्रवचनाें काे गुरुकुल द्वारा पुस्तक और सीडी के रुप में प्रकाशित किये जाते हैं।
पुराणी श्री हरिस्वरुपदासजी स्वामी श्रीजी महाराज की कृपा, पू. गुरुदेव शास्त्रीजी महाराज की सेवा और पू. जाेगी स्वामी के आशीर्वाद से सत्संग समाज के सुप्रसिद्ध चिंतक, कथाकार और हृदयस्पर्शी सफल वक्ता हैं। आज बाल-युवाधन और सारा समाज व्यसन की बदी में फंसकर शारीरिक, आर्थिक और सामाजिक रुप में खाेखला हाेता जा रहा है तब विशेषकर हिन्दी भाषियाें के हितार्थ ‘व्यसन मुक्ति’ पुस्तिका का हिन्दी में प्रकाशन किया गया है। सामाजिक उत्थान में व्यसन मुक्ति अभियान के एक भागरुप राजकाेट गुरुकुल की सुरत शाखा के संचालक पू. श्री धर्मवल्लभदासजी स्वामी की प्रेरणा से व्यसन से हाेती हानियाें काे सुंदर प्रदर्शन के साथ प्राेजेक्टर द्वारा उसकी फिल्म दिखानेवाला ‘व्यसन मुक्ति रथ’ तैयार किया गया है। जाे शहर और गाँवाें में घूमता रहता है।
गुजराती में प्रकाशित व्यसन मुक्ति पुस्तिका के भाव काे यथारुप बनाये रखकर उसका हिन्दी अनुवाद पूज्य शास्त्रीजी महाराज के अनन्य कृपापात्र हिन्दी विभागाध्यक्ष, वीरबाई महिला काेलेज राजकाेट के प्रा. डाॅ. हिम्मतभाई ठक्करने किया है। पुस्तक का टाइप सेटींग गुरुकुल साहित्य प्रकाशन विभाग में हुआ है। संपादनऔर प्रुफरीडींग श्री सुरेशभाई रा. भट्टने किया है। भगवान श्रीहरि की कृपा उन पर बनी रहे ऐसी अभ्यर्थना।
सर्वजन समाज काे नि:संदेह यह पुस्तक प्रेरणास्राेत और परिणामदायी सिद्ध हाेगी। सारा समाज व्यसन मुक्त हाेकर स्वस्थ और निरामय बनकर सुदृढ भारतीय समाज का अंग बना रहे ऐसी मंगल कामना के साथ...


-
Return & Exchanges*
-
100% Secure Payments
-
Customer Support