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Tasmai Shree Guruvai Namah

Tasmai Shree Guruvai Namah

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Weight : 55.0 g

Height : 21.5 cm

Width : 14 cm

नारायण के नाम से कार्यरत संस्था श्री स्वामिनारायण गुरुकुल राजकोट भगवान श्री स्वामिनारायण के दिव्य संदेश जन जन तक पहुँचाती है। भगवान श्री स्वामिनारायण के अनन्य उपासक, एकांतिक, संतवर्य प.पू. गुरुदेव शास्त्रीजी महाराज श्री धर्मजीवनदासजी स्वामी के द्वारा राजकोट में सन् 1948 में संस्था की स्थापना की गई। पू. स्वामीजी धर्म, ज्ञान, वैराग्य एवं भक्तिसंपन्न संत, जीवन के आदर्श सर्जक और आदर्श संत थे। वे अपने को भगवान श्रीहरि के दास मानते थे। उन्हो नें कभी व्यर्थकाल बिताया नहीं। जीवन की हर पल, हर साँस सांप्रदायिक और सामाजिक सेवा में व्यतीत की। वो भी पूरे निष्काम भाव से, श्रीहरि की प्रसन्नता में बितायी। पू. गुरुदेव के योग में आते ही प.भ. श्री हिम्मतभाई ठककर साहब वीरबाई माँ महिला कालेज, राजकोट में हिन्दी विभाग के अध्यक्ष चुने गये। वे युवा अवस्था में नौकरी के लिए राजकोट में आए। बाल्यकाल के सत्संग संस्कार और पूर्वसंस्कार से पू. स्वामीजी के योग में आते ही उनकी जीवन रीति में बदलाव आया। वे सत्संग और संस्था के सेवाकीय कार्य में जुट गये। उनकी जीवन धारा सेवा प्रवृत्ति में बहने लगी। पू.शास्त्रीजी महाराज की उन पर अमाप कृपा बरसने लगी। संत कृपा से तो असाध्य भी साध्य बनता है, रंक भी राय बनता है, गूंगा भी वाचाल बनता है और पंगु भी पर्वत लंघन कर शकता है। श्री ठककर साहब को भी संतयोग और संत कृपा से दिन-ब-दिन आध्यात्मिक प्रगति की ओर गति मिली और वे संस्था के छोटेबड़े हिन्दी-गुजराती प्रकाशन में संतो के मार्गदर्शन से सहयोग देते रहते हैं।
उन्होंने अपनी गुरुभक्ति के हिसाब से गुरुदेव की दीक्षाशताब्दी वर्ष में भावांजलि महोत्सव के उपक्रम में इस पुस्तिका में अपने अनुभव और भगवान की साक्षी में सद्गुरु की महिमा लिखी है। वे अपने को बहुत भाग्यशाली समजते हैं कि गुरुदेव ने उन्हेें भगवान श्रीहरि और सत्संग की भेट दी। अभी प.पू. गुरुवर्य महंत स्वामी श्री देवकृष्णदासजी स्वामीजी और पूरे संतगण के प्रति भी सत्संग का आत्मीय भाव से वे लगाव रखते हैं। वे अपने निवृत्ति काल में सत्संग और समाजोपयोगी आदर्श जीवन बीताते हैं। विशेषरूपसे हिन्दीभाषी अतिथिओं को संस्था और गुरुदेव का पूरा परिचय देने को हेतु यह पुस्तिका प्रसिद्ध की जा रही है। अपेक्षा रखते हैं कि इस पुस्तिकासे हर किसीको आदर्श संतजीवन गाथा का परिचय, मार्गदर्शन और प्रेरणा मीलती रहे।

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