Yovan - Hindi
Yovan - Hindi
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Height : 21 cm
Width : 14 cm
युवानी जीवन की वसत है। जीवन घटमाल का सुनहरा समय है। युवानी में योग्य राहबर मिल जाय तो वसंत सार्थक हो जाय । सुनहरे समय का सर्जनात्मक उपयोग हो सके। युवानी याने कुछ प्राप्त करने की उम्र । युवानी में उत्साह, आदर्श, थनगनाहट, शारीरिक शक्ति यह सब हो परंतु यदि संस्कारी मित्रवृंद न हो, संस्कारी वातावरण न हो और संयम एवं सदाचार न हो तो युवानी अवश्य निरर्थक जाय ।
बल हो परंतु अन्य की सेवा एवं रक्षा में उपयोग न हो, बुद्धि हो किन्तु विद्याप्राप्ति में उपयोग न हो तो बल और बुद्धि का हेतु सिद्ध न हो। आज कई युवान व्यसन और फैशन में समय और संपत्ति की आहुति देते हैं। आज कई टी.वी. चेनलों और बीभत्स चलचित्रों ने युवानों को बरबादी के कुएँ में ढकेलने का कार्य किया है। फिर भी समाज और सरकार इस विषय में उपेक्षा की दृष्टि रख रहे हैं। ये भविष्य के चिंताजनक चिह्न हैं।
राजकोट गुरुकुल इस संदर्भ में जागृति दिखाकर गाँव-गाँव सत्संग युवक मंण्डलों की स्थापना करके युवानों को योग्य मार्ग की ओर ले जाने का संनिष्ठ प्रयत्न कर रहा है। जिसके ठोस एवं निश्चित फल मिले हैं। कार्य की निष्ठा, सेवाभावना और ध्येयपूर्ण जीवन द्वारा युवागण जीवन- साफल्य की चाभी हाथ लगा सकें इस दृष्टि से युवानों को उत्तम आदर्श जीवन बसर कर गये महापुरुषों, वैज्ञानिकों, सेवाभावियों को अपने आदर्श के रूप में स्वीकार करना चाहिए।
उच्च आदर्शपूर्ण जीवन जीने में सहायक हो सके ऐसी यह 'यौवन' पुस्तक लिखकर भाई श्री अरविंदभाई घोळकियाने बडा सुंदर एवं अनुपम सेवा कार्य किया है। जिसे राजकोट श्री स्वामिनारायण गुरुकुल साहित्य प्रकाशन विभाग द्वारा प्रकाशित किया गया है।
युवावर्ग सोच-समझकर इस पुस्तक के लेखों का मनन कर जीवन में उतारने का प्रयत्न करेगा तो अवश्य व्यसन, फैशन, दुर्वृत्तियाँ, आदि दूषणों से बचकर अमूल्य शरीर, समय और संपत्ति द्वारा इहलोक एवं परलोक में सुखी होगा ।
महंत श्री देवकृष्णदासजी के सप्रेम जय स्वामिनारायण...


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